भारतीय रिफाइनरों ने रूसी तेल खरीदकर $10.5 बिलियन से अधिक की बचत की
भारत रूस संबंधों में ईंधन एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है , यूक्रेन में युद्ध के प्रकोप के बीच भारत और रूस के व्यापार सूची में ईंधन अब कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है । मास्को – नई दिल्ली के बीच व्यपार संबंधों को शिर्ष पर ला कर खड़ा कर दिया है । इस सप्ताह की शुरुआत में मास्को की यात्रा को दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वीकार किया कि उस वक़्त रूस के समर्थन ने भारत को ईंधन ऊर्जा प्राप्त करने में काफी मदद की जब कई देश ऊर्जा संकट का सामना कर रहे थे । मोदी ने यह भी कहा कि दुनिया को स्वीकार करना चाहिए कि भारत रूस ईंधन व्यापार ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों में स्थिरता लाई है ।
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा भारत की आधिकारिक व्यापार डेटा विश्लेषण में कहा गया है कि अप्रैल 2022 से मई 2024 के बीच भारतीय रिफायनरी में रूसी कच्चे तेल की खरीद बढ़ाकर विदेशी मुद्रा में काम से कम 10 अरब अमेरिकन डॉलर की बचत की है । फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देश ने रूस से तेल आयात में कटौती की , जिसके परिणाम स्वरुप मॉस्को ने अपने कच्चे तेल पर छूट देना शुरू कर दिया , भारतीय रिफायनरी इन रियायती दरों पे कच्चे तेलों को तेजी से खरीद रही है । जिसे रूस जो पहले भारत के ईंधन व्यापार में एक मामूली खिलाड़ी था । अब नई दिल्ली का सबसे बड़ा तेल आपूर्ति करता बन गया है । तेजी से बढ़ते तेल व्यापार में रूस को भारत के शिर्ष व्यापार साझेदारों की क्लब में भी शामिल कर दिया है ।
ऊर्जा के बढ़ते व्यापार ने भारत एवम रूस के बीच एक गहरे आर्थिक संबंधों को एक नए आयाम पर पहुंचा दिया है , जिससे वैश्विक ऊर्जा बाजारों में स्थिरता और गतिशीलता प्रभावित हो रही है । यह व्यवस्था पारस्परिक रूप से लाभदायक न केवल मास्को – न्यू दिल्ली के बीच गहरे आर्थिक संबंधों को दर्शाती है , बल्कि वैश्विक निश्चित के बीच ऊर्जा संसाधनों को सुरक्षित करने के भारत के व्यावहारिक दृष्टिकोण को भी उजागर करती है । जैसे – जैसे रूस भारत की तेल आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी बनते जा रहा है , यह संबंध वैश्विक ऊर्जा बजारों की स्थिरता और गतिशीलता को और अधिक प्रभावित करने के लिए भी तैयार है ।